सांझ गहराते ही जल जाते हैं सारे बल्ब ये

सांझ गहराते ही जल जाते हैं सारे बल्ब ये रात की कजरारी ऑंखों के हैं तारे बल्ब ये   रौशनी की इक नदी सी फूटती दीखी हमें दूर से हमने कभी भी जब निहारे बल्ब ये   इनकी फ़ितरत है कि देते हैं सभी को रौशनी मज़हबों और जातियों को बिन विचारे बल्ब ये   … Continue reading सांझ गहराते ही जल जाते हैं सारे बल्ब ये